मंगलवार, 30 दिसंबर 2008
आप जो भी कम करना चाहे
कल आते ही उन्होंने फिर कल की बातें शुरू कर दी थी ,कल जो भी गया था बहुत विषाक्त था उसकी यादें फिर वातावरण को दुखद बना गई। आज वे सचमुच बहुत खुश थे स्वयम चल कर आए थे ' उस दिन आर्ध murहां में थे, आते ही बोले तब कितना दुःख उठाया था ,मैंने कहा
आज तो आप बहुत बेहतर हें
हम चाय पीराहे हें आप नास्ता कर रहे हें
फिर उस दिन को आज में ले आना क्या उचित हे
आज जो सुंदर हे बेहतर हे ]वोह जिसने दिया हे उसे धन्यवाद तो दें
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