आज का महत्त्व

मंगलवार, 16 दिसंबर 2008

कल आते ही उन्होंने फिर कल की बातें शुरू कर दी थी ,कल जो भी गया था बहुत विषाक्त था उसकी यादें फिर वातावरण को दुखद बना गई। आज वे सचमुच बहुत खुश थे स्वयम चल कर आए थे ' उस दिन आर्ध murहां में थे, आते ही बोले तब कितना दुःख उठाया था ,मैंने कहा
आज तो आप बहुत बेहतर हें

हम चाय पीराहे हें आप नास्ता कर रहे हें
फिर उस दिन को आज में ले आना क्या उचित हे
आज जो सुंदर हे बेहतर हे ]वोह जिसने दिया हे उसे धन्यवाद तो दें

4 टिप्पणियाँ:

नरेन्द्रनाथ चतुर्वेदी ने कहा…

aaj ka mahatva
vastav men he
par hum hi hameha kal men hi rahte hen

हिन्दीवाणी ने कहा…

सुदंर ब्लॉग। लिखते रहिए। मेरे ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है।

Unknown ने कहा…

bahut acche...likhte rahe....

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