आज का din

बुधवार, 28 जनवरी 2009

जब भी आप अपना दिन शुरू करना चाहें ,यह आपके ऊपर निर्भर करता हे की आप किस तरह करना चाहते हें अगर आप चिंतित उठेंगे तो दिन सारा ख़राब ही कटेगा

एक दम बिस्टर को नन्ही छोडें
गहरी साँस लें
बेनी करवट से उठें
पहला कदम धरती पर धीरे से रखें
फिर दूसरा रखें
कोई विचार नन्ही
हो
अपननी साँस को ही देखें
अपनी दोनों हथेलियों को आपस में मिलान्यें
उसमें अपने आपको देखें

आपसे शुभ दूसरा कोई नन्ही हे
आपका आज का दिन सबसे आचा he

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आज का दिन

रविवार, 25 जनवरी 2009

स्मृति को पाप कहा गया हे] कंही स्मृति को ही दुख कहा गया । कंही स्मृति ही अवधारण
कहा गया हे स्मृति ही अनावश्यक विचरण को पैदा करती हे ।

अवधारणा क्या हे। यह हमारी किसी के बारे में बनी बने धारणा हे हम उस व्यक्ति के बारे में आते ही धारणा बना लेते हें , वोह ऐसा हे वोह वैसा हे

फिर उसके बाद अनावश्यक विचारना का सिलसिला शुरू होजाता हे।

यही वास्तविक दुख का कारन हे 'जो होना हे वोह तो होकर रहेगा , हमें रहना सीखना होगा ] रहनी रहे तो मित्र हमारा हम रहता का साथी

यही वास्तविक रहने की कला हे

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