आज का दिन
रविवार, 25 जनवरी 2009
स्मृति को पाप कहा गया हे] कंही स्मृति को ही दुख कहा गया । कंही स्मृति ही अवधारण
कहा गया हे स्मृति ही अनावश्यक विचरण को पैदा करती हे ।
अवधारणा क्या हे। यह हमारी किसी के बारे में बनी बने धारणा हे हम उस व्यक्ति के बारे में आते ही धारणा बना लेते हें , वोह ऐसा हे वोह वैसा हे
फिर उसके बाद अनावश्यक विचारना का सिलसिला शुरू होजाता हे।
यही वास्तविक दुख का कारन हे 'जो होना हे वोह तो होकर रहेगा , हमें रहना सीखना होगा ] रहनी रहे तो मित्र हमारा हम रहता का साथी
यही वास्तविक रहने की कला हे
1 टिप्पणियाँ:
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
एक टिप्पणी भेजें