आज का िवचार
शुक्रवार, 18 नवंबर 2011
महाभारत में एक प्रसंग आया है, जहां शब्द वाणी का व्यायाम प्रयुक्त हुआ हैंा
साध्वी राजा जनक से कहती है िक तुम अभी भी जीवनमुक्त नहीं हो
तुम्हारा मन स्त्रीपुरूश के द्वंद्व में उलझा हैा
मैं आज तुम्हारी देह में ही िनवास करूंगी, सुबह होते ही चजी जाउंगीा
तुम्हारी दुर्बलता का कारण वाणी का दुरूपयोग हैा
जो प्रश्न म िहलाओं से नहीं करने हैं, वे तुमने मुझसे िकए हैंा
वाणी का व्यायम शब्द पहली बार प्रयुक्त हुआ हैं
कम बोलना , िहतकर बोलना , मन में ही वाणी को लय करने का प्रया ही साधन हैा
नरेन्द्र नाथ
साध्वी राजा जनक से कहती है िक तुम अभी भी जीवनमुक्त नहीं हो
तुम्हारा मन स्त्रीपुरूश के द्वंद्व में उलझा हैा
मैं आज तुम्हारी देह में ही िनवास करूंगी, सुबह होते ही चजी जाउंगीा
तुम्हारी दुर्बलता का कारण वाणी का दुरूपयोग हैा
जो प्रश्न म िहलाओं से नहीं करने हैं, वे तुमने मुझसे िकए हैंा
वाणी का व्यायम शब्द पहली बार प्रयुक्त हुआ हैं
कम बोलना , िहतकर बोलना , मन में ही वाणी को लय करने का प्रया ही साधन हैा
नरेन्द्र नाथ
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