सहज दिव्य जीवन
गुरुवार, 9 अक्तूबर 2008
हमारा आज हमारे ही हाथ में सुरक्षित हे ।
जो कल हमरे पास से गुजर गया हे ,वोह अब लौट कर आने वाला नंही हे ।
जो कल आने वाला हे उसका हमें कुछ भी पता नंही हे
फिर भी हम अपने आपको दुखी रखते हें
न जाने किस कल के इंतजार में अपने आपको भुलाये रखते हें
आज का अगर पूरा इस्तेमाल ढंग से होजाए तो आने वाला कल भी बहुत कुछ हमारी भावना केअनकूल हो सकता हे ।
आज ही वर्तमान हे , इसमें रहना ही जीवन की कला हे
जो हमें आना चाहिए ।
1 टिप्पणियाँ:
सहज जीवन ही दिcय जीवन है।प्रश्न है आज में कै से जीएं?
http://gyansindhu.blogspot.com
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